Monday, October 12, 2009

मेरा देश महान

मेरा देश महान रे साथी , मेरा देश महान l
जात -पात के भेद भाव से , हमें है बचकर चलना ,
हिंदू ,मुस्लिम ,सिख ,ईसाई , सबको एक समझना ,
प्यारी माता , धरती माता , हम तुझ पर बलिदान,
मेरा देश महान रे साथी , मेरा देश महान l
भरा स्वच्छ पानी नदियों में , जीवन का उल्ल्हास लिए ,
चहक-चहक कर गाते पक्षी, रंगों की बोछ्चार लिए ,
नन्हि- नन्ही बूंदों से , भरते हैं खेत खलिहान , मेरा देश महान रे साथी , मेरा देश महान l
सीमा पर हैं खड़े बहाद्दुर , सीना अपना ताने ,
चोके पार रहती हैं बहनें , पुष्ट हमें बनानें ,
खेतों पर हल बैल लिए , खड़ा है मस्त किसान ,
मेरा देश महान रे साथी , मेरा देश महान l

2 comments:

  1. खेतों पर हल बैल लिए , खड़ा है मस्त किसान !
    बहुत खूब !

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  2. चाचाजान ,
    आदाब !

    कुछ नया क्यों नहीं लिख रहे हैं ?
    उम्मीद है ख़ैरियत से होंगे …

    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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